Saturday, September 6, 2008

उसकी नींद



आशा ने सुबह शिकायत की थी कि रात को मेरे कुछ कहने के बाद उसकी नींद काफी समय तक उचटी रही। आफिस आते समय बस की खिड़की से देखा होटल राजमहल के बाहर मिट्टी पर एक औरत मजे से सो रही है। वह शायद पुराने कपड़े बेचने वाली औरत रही होगी। पुराने कपड़े बेचने वाली औरतें अमूमन उसी जगह पर बैठती हैं। औरत के सर के नीचे एक पौटली भी थी। उसका वह तकिए की तरह इस्तेमाल कर रही थी। होटल राजमहल के पास सड़क काफी व्यस्त रहती है। अक्सर यहां ट्रैफिक जाम के कारण ज्यादा ही चिल्ल-पौं रहती है। ऐसे में वह औरत मजे से सो रही थी। शायद उसकी ग्राहकी का समय नहीं हुआ होगा। शायद उसके पति ने रात को उसके साथ मारपीट की होगी जिसके कारण वह सो नहीं पाई होगी। यह भी हो सकता है कि चार या पाँच बच्चों को जगाने और उनके रोटी-पानी का जुगाड़ करके वह बाजार आई हो। यह सब करने के लिए उसे अल्लसुबह जग जाना पड़ता होगा। हो सकता है रात को बारिश में छत टपकती होगी। बारिश होते ही वह छत के हर छेद के नीचे बर्तन लगाने में व्यस्त हो जाती होगी। घर में हर समय अलर्ट की मुद्रा में रहने वाली औरत के लिए शायद वह सड़क किनारे की कच्ची मिट्टी सबसे शांत जगह थी। यहां उसके बच्चे परेशान करने के लिए आने वाले नहीं हैं। न ही उसका पति बेवक्त आकर भात या चाय बना देने के लिए कहने वाला है। किशनगंज स्टेशन पर एक बार रात को तीन बजे उतरना पड़ा था। मेरे सूटकेस में एक उपन्यास था। मैंने बैंच पर बैठकर उसे पढ़ना शुरू किया। लेकिन पांच ही मिनट में मच्छर परेशान करने लगे। देखा पास ही लेटा एक बच्चा, जो या तो सामान ढोता होगा या भीख मांगता होगा - गहरी नींद में सोया था। उसके चारों तरफ मच्छर भिन् भिन् कर रहे थे। अपने पूरे दम के साथ। मैंने उपन्यास बंद कर दिया था। वह लड़का वैसे ही सोया था। सुबह होने से पहले उठने वाला नहीं लगा।

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