Tuesday, October 28, 2008

दीपावली की उदासी


हर दूसरे पर्व की तरह आज दीपावली के दिन भी मन उदास हो गया। मैंने इसका कारण खोजने की कोशिश की लेकिन खोज नहीं पाया। क्या इसका कारण यह है कि सालों से एक ही तरह की चीज में अब कोई रस नहीं रह गया। जैसे अखबारों में इस अवसर पर निकलने वाले - दिए का संदेश, अंधरे पर प्रकाश की विजय - जैसी उन्हीं उन्हीं बातों में कोई दिसचस्ली नहीं जग पाती। अब पटाखों, मिठाइयों में कहाँ से दिलचस्पी पैदा करें।